खबर पल पल की

April 30, 2025 8:13 pm

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श्रीमद्भागवत कथा में भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार, राजा बलि से मांगी 3 पग भूमि, हुआ श्रीकृष्ण का जन्म

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स्याना। बुगरासी के शिव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण में कथा व्यास ने भगवान विष्णु के पांचवे वामन अवतार तथा आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनाई।

कथा सुनाते कथा व्यास और वामन अवतार की झांकी

कथा व्यास लक्ष्मी नारायण तिवारी ने अपने प्रवचन में कहा कि राजा बलि असुरों के महान राजा थे, जो अपनी धर्मपरायणता, दानशीलता और महान कार्यों के लिए विख्यात थे। उन्होंने कठिन तपस्या और यज्ञों के बल पर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था। देवता, विशेषकर इंद्र, उनके इस वर्चस्व से चिंतित थे और भगवान विष्णु से सहायता की प्रार्थना की। देवताओं की सहायता और धर्म की पुनः स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया।भगवान विष्णु ने असुरों के राजा बलि को पराजित करने के लिए वामन अवतार लिया। भगवान विष्णु ने एक बौने ब्राह्मण के रूप में वामन अवतार लिया और बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा।

वामन अवतार में भगवान विष्णु की झांकी

बलि ने वचन दिया, लेकिन वामन भगवान ने अपना आकार विशाल कर लिया और दो पगों में संपूर्ण पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना सिर प्रस्तुत किया। भगवान वामन ने प्रसन्न होकर राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बना दिया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का वरदान भी दिया।

कथा से मिली सीख

कथा व्यास ने कहा कि यह कथा भगवान विष्णु की लीला और राजा बलि की महानता को दर्शाती है, जो धर्म और दानशीलता का प्रतीक माने जाते हैं। भगवान विष्णु के वामन अवतार की यह कथा हमें सिखाती है कि अहंकार से मुक्ति और विनम्रता के साथ किए गए कार्य सदा महान होते हैं। राजा बलि ने अपनी शक्ति और वैभव का त्याग कर भगवान के प्रति अटूट भक्ति दिखाई, जो उनकी महानता को और भी उभारता है।

आठवें अवतार में हुआ श्री कृष्ण का जन्म

वहीं, द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार की भी कथा सुनाई गई। कथा व्यास लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा कि भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया।

भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण की झांकी

कंस के अत्याचार से धरती को मुक्त कराने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। मथुरा के कारागार में देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में उनका अवतरण हुआ, जिन्होंने आगे चलकर महाभारत युद्ध और गीता का उपदेश देकर धर्म की स्थापना की। इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

ये लोग रहे उपस्थित

नरेश जिंदल, शत्रुघ्न तिवारी, धनेश तायल, अंकुर सिंघल, पवन मित्तल, अनिल मित्तल, मनोज गर्ग, प्रवीन अग्रवाल, हर्ष सिंघल, आशु सोनी, पुनीत तायल, आकाश जिंदल, राजू लोधी आदि

 

Akshit Agarwal
Author: Akshit Agarwal

सीनियर एडिटर

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