स्याना। बुगरासी में सोमवार रात से शुरू हुई श्रीमद्भागवत भागवत कथा में अनेज भक्तों ने धर्म लाभ लिया। कथावाचक ने कलयुग में धर्म को मोक्ष का मार्ग बताया। प्राचीन भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का सजीव प्रतिबिंब “श्रीमद्भागवत कथा” का आयोजन इस बार विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ प्रारंभ हुआ। पहले दिन की कथा में भगवद् भक्ति, धर्म, और आत्मा के महत्व को प्रमुखता से बताया गया।

कथावाचक लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कथा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनके जीवन के उपदेशों से की। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। इसमें समाहित कथाएँ हमें सिखाती हैं कि कैसे हम अपनी भौतिक इच्छाओं से परे जाकर आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। पहले दिन की कथा की मुख्य प्रेरणा यह रही कि सच्ची भक्ति से ही भगवान का साक्षात्कार संभव है। व्यक्ति को अपने अहंकार, मोह, और माया के बंधनों से मुक्त होकर जीवन में सादगी, विनम्रता, और सेवा का भाव अपनाना चाहिए। कथा में यह भी बताया गया कि धर्म का पालन केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे विचारों, कर्मों, और व्यवहार में भी झलकना चाहिए। कथा के इस शुभारंभ ने उपस्थित जनसमूह को आंतरिक शांति, आत्म-साक्षात्कार, और भगवान के प्रति अटूट विश्वास की ओर प्रेरित किया। इस दौरान आशु सोनी, नरेश जिंदल, ईश्वर चंद शर्मा, पवन मित्तल, मोहित सिंघल, अभिषेक अग्रवाल, सौरभ गर्ग आदि सहित अनेक भक्तों ने धर्म लाभ लिया।

Author: Akshit Agarwal
सीनियर एडिटर