बुलंदशहर। यूपी के जनपद बुलंदशहर में शनिवार को जेपी जनता इंटर कॉलेज में अशासकीय विद्यालय प्रबंधक महासभा का सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें सभी पदाधिकारी गण उपस्थित रहे। महासभा की ओर से शिक्षकों की कमी और वेतन संबंधी समस्याओं, वित्तीय समस्याएं और सरकारी पक्षपात को लेकर गंभीर मंथन किया गया।
इस अवसर पर महासभा के अध्यक्ष कृष्ण मोहन मिश्रा ने कहा कि महंगाई के बावजूद 14 वर्षों से फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि विद्यालयों की समस्याओं पर शासन को गंभीर विचार करना चाहिए। प्रदेश के अशासकीय विद्यालय प्रबंधकों के संगठन अशासकीय विद्यालय प्रबंधक महासभा उत्तर प्रदेश के मेरठ मंडल की बैठक का सफल आयोजन किया गया था। महासभा ने एक बार फिर राज्य के अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों की समस्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। महासभा का मानना है कि प्रदेश के इन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है। जिसका सीधा प्रभाव गरीब, किसान, मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है।
कृष्ण मोहन मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार से मांग है कि सरकार गंभीर मुद्दे पर ध्यान दे और शीघ्र समाधान के लिए कदम उठाएं। महासभा ने स्पष्ट किया है कि अगर सरकार ने इन समस्याओं का समाधान नहीं किया तो उन्हें स्ववित्त पोषित विद्यालयों की तरह काम करने की छूट दी जाए।
प्रदेश अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग और सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सहायता प्राप्त विद्यालय को राजकीय विद्यालयों के समान माना जाता है लेकिन इनकी स्वायत्तता और प्रबंध तंत्र की स्वतंत्रता की अनदेखी की जा रही है।
महासभा के अध्यक्ष कृष्ण मोहन मिश्रा ने इस संबंध में कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग ने अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधकों की भूमिका को हाशिए पर धकेल दिया गया है। प्रबंधकों को दरकिनार करते हुए प्रधानाचार्य को आदेश जारी किया जा रहे हैं। जो प्रबंधन समितियों के स्वायत्तता का हनन है। यह स्थिति स्कूलों के बेहतर संचालन और शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है। शासन द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों में प्रबंधकों को आदेशात्मक भाषा में निर्देश दिए जाते हैं, जो प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है। महासभा ने इस बात पर जोर दिया है कि इस प्रकार की कार्यशैली से विद्यालय में अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे न केवल प्रबंध तंत्र बल्कि छात्रों और शिक्षकों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

Author: The Hindustan Times
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