मैं जली हुई राख नहीं, अमर दीप हूँ,
जो मिट गया वतन पर मैं वो शहीद हूँ।
कासगंज: 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर जनसेवा का उच्च आदर्श हृदयंगम किए अनेकों पुलिस जन प्रतिवर्ष कर्तव्य पथ का अनुगमन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुऐ हैं। पुलिस जनों के कार्य की प्रकृति ही कुछ ऐसी है कि इसमें कदम-कदम पर जोखिम व जीवन भय सन्निहित है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष अपने कार्यों को अंजाम देने की प्रक्रिया में पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में कर्तव्य की बलिवेदी पर अपनी प्राणो का उत्सर्ग दिये हैं।
इनकी कीर्ति व यशोगाथा समय के साथ क्षरित नहीं होती अपितु अविरल अनुप्रेरणा प्राप्त होती है। पुलिस की भावी संततियों को उसी पथ पर द्विगुणित साहस में मनोयोग से आगे बढ़ने के लिए ऐसी एक गाथा आज से 65 वर्ष पुरानी है। जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 10 जवानों ने 21 अक्टूबर 1959 को भारत की उत्तरी सीमा लद्दाख के हिमाच्छादित जन हीन क्षेत्र में चीनी सैनिकों के कपटपूर्ण किए गए हमले को निष्प्रभावी कर अपना सर्वोच्च बलिदान, प्राणों की आहुति देकर मातृ भूमि की रक्षा की थी। इन वीर शहीद पुलिस जनों की याद में प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रुप में मनाया जाता है।
इस क्रम में आज पुलिस लाइन कासगंज स्थित शहीद स्मारक पर पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक, क्षेत्राधिकारी सहावर शाहिदा नसरीन, क्षेत्राधिकारी पटियाली राजकुमार पाण्डेयं, मुख्य अग्निशमन अधिकारी आर.के. तिवारी, प्रतिसार निरीक्षक रविन्द्र सिंह मलिक व समस्त उपस्थित पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में पुष्प चक्र व श्रध्दासुमन अर्पित कर श्रध्दांजली अर्पित की गयी।
इस दौरान जनपद में दिवगंत पुलिस कर्मी हैड कांस्टेबल शिवराज सिंह के उपस्थित परिजनो को पुलिस अधीक्षक महोदया द्वारा शॉल उढ़ाकर सम्मानित कर सांत्वना दी गयी।

Author: Akshit Agarwal
सीनियर एडिटर