स्याना। गुरुद्वारा गुरुनानक दरबार में सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास साहिब का प्रकाशपर्व धूमधाम से मनाया गया। ज्ञानी बलवंत सिंह के जत्थे द्वारा गुरुवाणी व शब्द कीर्तन किया गया। इस दौरान गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा अध्यक्ष सरदार तेजेंद्र सिंह ने कहा कि गुरुजी ने जाति प्रथा एवं ऊंच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने के लिए लंगर की प्रथा को सशक्त बनाया। उस जमाने में भोजन करने के लिए जातियों के अनुसार पंगतें लगाई जाती थी। गुरू अमरदास साहिब ने सभी के लिए एक ही पंगत में बैठकर लंगर खिलाना अनिवार्य किया। साथ ही छुआछूत के भेदभाव को समाप्त किया। अकबर बादशाह गुरूजी के दर्शनों के लिए गोइंदवाल साहिब आए थे। उन्होंने भी एक ही पंगत में बैठकर लंगर चखा था। जाति प्रथा को समाप्त करने के लिए गोइंदवाल साहिब में एक साझी बावड़ी का निर्माण कराया था। गुरु जी का जन्म अमृतसर के बासरके में श्री तेज भल्ला क्षत्रिय के घर माता सुलखनी के यहां हुआ था। सती प्रथा को समाप्त करने के लिए उन्होंने प्रचार किया। वह सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले समाज सुधारक थे। अंत में अनुयायियों ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के चरणों मे अरदास की व एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। इस दौरान सरदार कुलवंत सिंह, खेम सिंह, परमजीत सिंह, विक्की, काले, सिमरन, गोलू, सुरजीत कौर व जसप्रीत कौर आदि मौजूद रहे।

Author: The Hindustan Times
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