बुलंदशहर। इस बार आम के स्वाद को देश ही नहीं विदेशों में भी चखा जाएगा। इसके लिए आम के एक्सपोर्ट की तैयारी बड़े पैमाने पर चल रही है। आम की बेहतर क्वालिटी के लिए 12 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त खर्चा किया जा रहा है।
यूपी के जनपद बुलंदशहर की तहसील स्याना क्षेत्र फलपट्टी क्षेत्र है और इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आम का उत्पादन होता है। क्षेत्र का आम देश भर की अनेक मंडियों के साथ विदेशों को भी भेजा जाता रहा है। आम की बेहतर क्वालिटी और अच्छे स्वाद के लिए पेड़ पर लटके आम को विशेष खलते में पैक किया जा रहा है। जिस आम को भी खास खलते में पैक किया जा रहा है वह आम एक माह में हल्के पीले रंग में मंडी के लिए तैयार हो जाएगा। जिसकी फिनिशिंग बेहतर होने के साथ आम एकदम सुपर क्वालिटी का होगा। जगदीश राणा, शानू खान आदि बागवानों ने बताया कि खलते में पैक किए जा रहे आम का रेट काफी अधिक होता है। मंडी में इस आम की बहुत ज्यादा मांग होती है। मंडी में पहुंचते ही खरीददार इस आम को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। साथ ही खलते में होने के कारण आम में किसी प्रकार का कीड़ा, बारिश से आम पर काला धब्बा आदि कुछ नहीं लगता। आम के फ्रेस स्थिति में होने के कारण लागत के सापेक्ष मूल्य भी अच्छा मिलता है। इस साल बड़े पैमाने पर बागों में खलतों का प्रयोग किया जा रहा है।
12 रुपए किलो अधिक आएगी लागत
एक आम पर एक खलता बांधा जाता है। एक खलते की कीमत ढाई रुपए है। बांधने में लेबर में भी लगभग एक रुपए प्रति आम का खर्चा आ रहा है। बागवानों के अनुसार खलते वाले आम का खर्चा प्रति किलो 12 रुपए अधिक आ रहा है।
दशहरी व चौंसे में लगाया जा रहा है खलता
विशेष खलते में फिलहाल दशहरी व चौंसे के आम को पैक किया जा रहा है। सबसे पहले दशहरी का आम चलता है। चौंसा सबसे अंत में आता है। माना जा रहा है कि यदि विशेष खलते के दशहरी आम से बागवानों को अच्छी इनकम होती है तो चौंसे के आम में बड़ी संख्या में खलते का प्रयोग हो सकता है।
आम के एक्सपोर्ट की विशेष तैयारी चल रही है। विशेष खलते के आम की क्वालिटी विदेश भेजने वाली है। खलते के प्रयोग से आम के एक्सपोर्ट का रास्ता खुल रहा है। इस वर्ष काफी संख्या में क्षेत्र के बागवानों ने विशेष खलते का प्रयोग किया है। यह बागवानों की आमदनी बढ़ाने के साथ विदेशों में भारत को एक नई पहचान भी दिलाएगा। खलते वाले आम को एक्सपोर्टर खरीद लेते हैं जिसे अलग-अलग देशों में भेजा जाता है।- भारत भूषण त्यागी (पद्मश्री), प्रगतिशील किसान

Author: Ajay Garg
Sr. Correspondent